10th Class Hindi ( ହିନ୍ଦୀ ) - Poem Chapter 3 एक तिनका All Question With Answer
↓ Question & Answer ↓
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो/तीन वाक्यों में दीजिए:
(ନିମ୍ନଲିଖୂ ପ୍ରଶ୍ନୋ କେ ଉତ୍ତର୍ ଦୋ-ତୀନ ୱାର୍କୋ ମେଁ ଦୀଜିଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଦୁଇ/ତିନି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ : )
(क) एक दिन कवि को क्या हो गया?
(ଏକ ଦିନ୍ କଵି କୋ କ୍ୟା ହୋ ଗୟା ?)
उ:
एक दिन कवि अपने घमण्ड में भरकर एकदम ऐंठे हुए से तनकर छत के मुंडेरे पर खड़े थे। ऐसे में कहीं दूर से एक छोटा-सा तिनका आकर उनकी आँख में गिर गया।
(ख) आँख में तिनका पड़ने पर घमंड़ी की क्या दशा हुई?
(ଆଁଖ୍ ମେଁ ତିନ୍କା ପଡ଼େନେ ପର୍ ଘମଣ୍ଡୀ କୀ କ୍ୟା ଦଶା ହୁଈ ?)
उ:
आँख में तिनका पड़ने पर कवि झुंझलाकर परेशान हो उठे। आँख जल रही थी और सूजन के कारण लाल भी हो गई थी। फलस्वरूप आँख जोर से दुखने लगी थी।
(ग) आँख में तिनका पड़ने पर लोग क्या करने लगे?
(ଆଁଖ୍ ମେଁ ତିନ୍କା ପଡ଼ନେ ପର୍ ଲୋଗ୍ କ୍ୟା କର୍ନେ ଲଗେ ?)
उ:
आँख में तिनका पड़ने पर लोग कपड़े की मूँठ देकर कवि की आँख को सेकने लगे कि शायद थोड़ा आराम मिल जाए पर नहीं। दर्द किसी तरह कम होने का नाम नहीं ले रहा था।
(घ) किसी तरह आँख से तिनका निकल गया तो कवि को क्या अनुभव हुआ?
(କିସୀ ତରହ ଆଁଖ୍ ସେ ତିନ୍ ନିକଲ୍ ଗୟା ତୋ କଵି କୋ କ୍ୟା ଅନୁଭବ ହୁଆ ?)
उ:
किसी तरह आँख से तिनका निकल गया तो कवि को अनुभव हुआ कि जैसे उनका विवेक उन्हों ताना मार रहा था। और साथ ही साथ कह रहा था – इतना अकड़ किसलिए। एक छोटा सा तिनका तुम्हारे अहंकार को तोड़ने में काफी है।
(ङ) एक तिनका कविता का मूल भाव क्या है?
("ଏକ ତିନ୍କା " କବିତାର ବିଷୟବସ୍ତୁ କ'ଣ?)
उ:
‘एक तिनका’ कविता का मूल भाव है- कभी भी अपने को बड़ा मत समझो। ज्यादा घमण्ड करना ठीक नहीं हैं। एक छोटा-सा तिनका किसीका भी घमण्ड तोड़ सकता है। छोटी-छोटी चीजें भी हमारे जीवन को एकदम बदल सकती है।
(क) घमंडों में भरा ऐंठा हुआ,
एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा।
ଘର୍ମଣ୍ଡୋ ମେଁ ଭରା ଏଁଠା ହୁଆ,
ଏକ୍ ଦିନ୍ ଜବ୍ ଥା ମୁଣ୍ଡରେ ପର୍ ଖଡ଼ା।
उ:
घमंडो में …………………… पर खड़ा।
इस पंक्ति में कवि कह रहे हैं कि एक दिन वे घमण्ड से भरे एकदम ऐंठे हुए से तनकर छत के मुँडेरे पर खड़े थे।
(ख) मैं झिझक उठा, हुआ बेचैन – सा।
लाल होकर आँख भी दुखने लगी।
ମେଁ ଝିଝକ୍ ଉଠା, ହୁଆ ବେସୈନ୍-ସା।
ଲାଲ୍ ହୋକର୍ ଆଁଖ୍ ଭୀ ଦୁଗ୍ ଲଗୀ।
उ:
मैं झिझक …………………. दुखने लगी।
कवि कहते हैं कि अचानक कहीं दूर से एक तिनका उड़ता हुआ आया और उनकी आँख में आ गिरा। इससे कवि झुंझलाकर परेशान हो उहे। उनकी अँख जल रही थी और लाल होकर दुखने भी लगी।
(ग) ऐंठता तू किस लिए इतना रहा,
एक तिनका है बहुत तेरे लिए।
ଐଠତା ତୂ କିସ୍ ଲିଏ ଇତ୍ନା ରହା,
ଏକ୍ ତିନ୍ ହୈ ବହୁତ୍ ତେରେ ଲିଏ।
उ:
ऐंठता तू ………………….तेरे लिए।
इस अप्रत्याशित घटना से कबि ने जब छुटकारा पाया तो उनका विवेक जैसे उन्हे ताना मारता था। उन्होंने अनुभव किया जैसे उनका विवेक उनसे कह रहा था – इतना अकड़ क्यों दिखाता है। एक छोटा- सा तिनका तुम्हारे अहंकार को तोड़ने के लिए काफी है।
(ନିମ୍ନଲିଖୂ ପ୍ରଶ୍ନୋ କେ ଉତ୍ତର୍ ଏକ୍-ଏକ୍ ୱାଜ୍ୟୋ ମେଁ ଦୀଜିଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଗୋଟିଏ-ଗୋଟିଏ ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ : )
(क) ‘एक तिनका’ कविता के कवि का नाम क्या है?
(ଏକ ତିନ୍ କମ୍ପିତା କେ କବି କା ନାମ୍ କ୍ୟା ହୈ ?)
‘एक तिनका’ कविता के कवि का मान अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ है।
(ख) एक दिन कवि कहाँ खड़े थे?
(ଏକ୍ ଦିନ୍ କମ୍ପି କହାଁ ଖଡ଼େ ଥେ ?)
उ:
एक दिन कवि घमण्ड से भरे एकदम ऐंठे हुए से तनकर छत के मुँडेरे पर खड़े थे।
(ग) अचानक क्या हुआ?
(ଅଚାନକ୍ କ୍ୟା ହୁଆ ?)
उ:
अचानक कहीं दूर से एक तिनका उड़ता हुआ आया और कवि की आखों में गिरा।
(घ) कौन दबें पाँव भागी?
(କୌନ୍ ଦର୍ବେ ପାଁୱ ଭାଗୀ ?)
उ:
घमण्ड दबे पाँव भागी।
(ङ) घमंडी के घमण्ड को दूर करने के लिए क्या बहुत है?
(ଘମଣ୍ଡୀ କେ ଘମଣ୍ଟ୍ କୋ ଦୂର୍ କର୍ନେ କେ ଲିଏ କ୍ୟା ବହୁତ୍ ହୈ ?)
उ:
घमण्डी के घमण्ड को दूर करने के लिए एक तिनका बहुत है।
1. नीचे दी गई कविता की पंक्तियों को सामान्य वाक्य में बदलिए:
(ନୀଚେ ଦୀ ଗଈ କମ୍ପିତା କୀ ପଂକ୍ତିର୍ଲୋ କୋ ସାମାନ୍ୟ ୱାକ୍ୟ ମେଁ ବଦଲିଏ।)
(ନିମ୍ନରେ ପ୍ରଦତ୍ତ କବିତାର ପଦଗୁଡ଼ିକୁ ସାମାନ୍ୟ ବାକ୍ୟରେ ପରିବର୍ତ୍ତନ କର।)
जैसे- एक तिनका आँख में मेरी पड़ा – मेरी आँख में एक तिनका पड़ा।
मूँठ देने लोग कपड़े की लगे – लोग कपड़े की मूँठ देने लगे।
(क) एक दिन जब था मुँडेरे पर खड़ा ………………..
(ख) लाल होकर आँख भी दुखने लगी …………………
(ग) ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भागी …………………..
(घ) जब किसी ढब से निकल तिनका गया …………………
(ङ) एक तिनका है बहुत तेरे लिए …………………
उत्तर:
(क) एक दिन जब था मुँडेरे पर खड़ा – एक दिन जब मुँडेरे पर खड़ा था।
(ख) लाल होकर आँख भी दुखने लगी – आँख भी लाल होकर दुखने लगी।
(ग) ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भागी – बेचारी ऐंठ दबे पावों भागी।
(घ) जब किसी ढब से निकल तिनका गया – जब तिनका किसी ढब से निकल गया।
(ङ) एक तिनका है बहुत तेरे लिए –तेरे लिए एक तिनका बहुत है।
2. निम्नलिखित शब्दों के बिलोम/विपरीत शब्द लिखिए:
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶବ୍ଦା କେ ବିଲୋମ୍/ବିପରୀତ୍ ଶବ୍ଦ ଲିଖିଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ବିଲୋମ/ବିପରୀତ ଶବ୍ଦ ଲେଖ।)
झिझक, बेचैन, दुःख, दुःखद, बहुत
उत्तर:
झिझक – बेझिझक
दुःखद – सुखद
बेचैन – चैन
दुःख – सुख
बहुत – कम
3. ‘किसे ढब से निकलना’ का अर्थ है किसी ढंग से निकलना। ‘ढब से’ जैसे कई वाक्यांशों से आप परिचित होंगे, जैसे- ‘धम से’ वाक्यांश है, लेकिन ध्वनियों में समानता होने के बाद भी ‘ढब से’ और ‘धम से’ वाक्यांशों के प्रयोग में अंतर है। नीचे कुछ ध्वनिद्वारा क्रिया को सूचित करनेवाले वाक्यांश और कुछ अधूरे वाक्य दिये गये हैं। उचित वाक्यांश चुनकर वाक्यों के खाली स्थान भरिए-
( छपाक से, टपटप, सर्र से, फुरे से)
(ଛପାକ୍ ସେ, ଟପ୍ଟପ୍, ସର୍ଗ ସେ, ଫୁରେ ସେ)
(क) मेढक पानी में ……………… कूद गया।
(ख) नल बंद होने पर भी पानी की कुछ बूँदें …………….. चू गईं।
(ग) शोर होते ही चिड़िया ………………….. उड़ी।
(घ) मोटर साइकिल ………………… गई।
उत्तर:
(क) छपाक से
(ख) टपटप
(ग) फुर्र से
(घ) सर्र से
4. पाठ के आधार पर सही परसर्गों से शून्य स्थानों को भरिए:
(ପାଠ୍ କେ ଆଧାର ପର୍ ସହୀ ପରସଗୋଁ ସେ ଶୂନ୍ୟ ସ୍ଥାନୌ କୋ ଭରିଏ :
(ପାଠକୁ ଆଧାର କରି ଉପଯୁକ୍ତ ପରସର୍ଗଦ୍ଵାରା ଶୂନ୍ୟସ୍ଥାନ ପୂରଣ କର ।)
(क) घमंडों ………………. भरा ऐंठा हुआ।
उत्तर:
में
(ख) एक दिनका आँख ………………. मेरी पड़ा
उत्तर:
में
(ग) आ अचानक दूर ………………. उड़ता हुआ।
उत्तर:
से
(घ) जब किसी ढब ……………….. निकल तिनका गया।
उत्तर:
से
(ङ) तब ‘समझ’ ……………….. यों मुझे ताने दिए।
उत्तर:
ने