10th Class Hindi ( ହିନ୍ଦୀ ) - Poem Chapter 6 काँटे कम-से-कम मत बोओ All Question With Answer
↓ Question & Answer ↓
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिए:
(ନିମ୍ନଲିଖତ୍ ପ୍ରକ୍ଷ୍ନୌ କେ ଉତ୍ତର ଦୋ-ତୀନ୍ ୱାର୍କୋ ମେଁ ଦୀଜିଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖୂତ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଦୁଇ-ତିନି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ : )
(क) मानव का जीवन प्रशान्त कैसे हो सकता है?
(ମାନ କା ଜୀୱନ୍ ପ୍ରଶାନ୍ତ୍ କୈସେ ହୋ ସକତା ହୈ ?)
उत्तर:
मानव का जीवन ममता की शीतल छाया में कटुता का दूर न करके प्रशान्त हो सकता है। सदैव दूसरों को स्नेह, प्रेम और ममता की शीतल छाया में रखना चाहिए। ईर्ष्या रूपी कटुता को स्पष्ट करना चाहिए।
(ख) दुनिया की रीति कौन-सी है?
(ଦୁନିୟା କୀ ରୀତି କୌନ୍-ସୀ ହୈ ?)
उत्तर:
इस संसार में सब कुछ शरीर को सहन करना पड़ता है। मन हमेशा बहन करता है। कहीं पर वह स्थिर नहीं रहता। यही दुनिया की रीति है।
(ग) मनुष्य को किसके बारे में सोचना नहीं चाहिए?
(ମନୁଷ୍ୟ କୋ କିସ୍ ବାରେ ମେଁ ସୋଚନା ନର୍ଜୀ ଚାହିଏ ?)
उत्तर:
कठिनाइयों में किस तरह जीवन व्यतीत हुआ है उसके बारे में मनुष्य को सोचना नहीं चाहिए। अपने व्यक्तिगत दुःख तथा क्रोध से परिवेश को दुखित नहीं करना चाहिए।
(घ) साँसों के मुरदे न होने का आग्रह कवि ने क्यों किया है?
(ସାଁର୍ଡୋ କେ ମୁରଦେ ନ ହୋନେ କା ଆଗ୍ରହ କଵି ନେ କ୍ୟା କିୟା ହୈ ?)
उत्तर:
संकट चाहे कितना ही गहरा क्यों न हो, अपना विश्वास, धैर्य और साहस नहीं खोना चाहिए। अगर ऐसा न हुआ तो आदमी जिन्दा लाश बन कर रह जायेगा। इसलिए कवि ने साँसों के मुरदे न होने का आग्रह किया है।
(ନିମ୍ନଲିଖତ୍ ପ୍ରଶ୍ନ କେ ଉତ୍ତର୍ ଏକ୍ ୟା ଦୋ ୱାର୍କୋ ମେଁ ଦୀକିଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଗୋଟିଏ ବା ଦୁଇଟି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ : )
(क) यदि फूल नहीं बो सकते तो क्या करना चाहिए?
(ୟଦି ଫୁଲ୍ ନହେଁ ବୋ ସକତେ ତୋ କ୍ୟା କରନା ଚାହିଏ ?)
उत्तर:
यदि फूल नहीं बो सकते तो काँटे नहीं बोना चाहिए।
(ख) कौन-सी घाटी अगम होती है?
(କୌନ୍-ସୀ ଘାଟୀ ଅଗମ୍ ହୋତୀ ହୈ ?)
उत्तर:
चेतना की घाटी अगम होती है।
(ग) किसको कमजोर कहा गया है?
(କିସ୍କୋ କମ୍ପୋର୍ କହା ଗୟା ହି ?)
उत्तर:
मानव के मन को कमजोर कहा गया है।
(घ) संकट में अगर मुस्करा न सको तो क्या करना चाहिए?
(ସଂକଟ୍ ମେଁ ଅଗର୍ ମୁସ୍କରା ନ ସକୋ ତୋ କ୍ୟା କରନା ଚାହିଏ?)
उत्तर:
संकट में अगर मुस्कुरा न सको तो भय से कातर नहीं होना चाहिए।
(ङ) चेतन किसे कहा गया है?
(ଚେତନ୍ କିସେ କହା ଗୟା ହୈ ?)
उत्तर:
सुख की अभिमानी मदिरा में जो जागता है, उसे चेतन कहा गया है।
(च) तुम अगर जाग नहीं सकते तो क्या करना चाहिए?
(ତୁମ୍ ଅଗର୍ ଜାର୍ ନହେଁ ସକତେ ତୋ କ୍ୟା କରନା ଚାହିଏ?)
उत्तर:
तुम अगर जाग नहीं सकते तो सेज बिछाकर सोना नहीं चाहिए।
(छ) क्या करने से संकट का वेग कम नहीं होता?
(ଜ୍ୟା କର୍ନେ ସେ ସଂକଟ୍ କା ବେଗ୍ କମ୍ ନର୍ଜୀ ହୋତା ?)
उत्तर:
सामने आये संकट को अनसुना और अचीह्ना कर देने से संकट का वेग कम नहीं होता।
(ज) संशय के सूक्ष्म कुहासे में क्या नहीं होता?
(ସଂଶୟ କେ ସୂକ୍ଷ୍ମ କୁହାସେ ହେଁ କ୍ୟା ନର୍ମୀ ହୋତା ?)
उत्तर:
संशय के सूक्ष्म कुहासे में क्षण भर के लिए विश्वास नहीं रमता।
(झ) किसमें भी पवन का जयघोष नहीं थमता?
(କିସ୍ ଭୀ ପୱନ୍ କା ଜୟଘୋଷ୍ ନହୀଁ ଥମତା?)
उत्तर:
बादलों की गड़गड़ाहट के बीच पवन का जयघोष नहीं थमता।
(ञ) अगर विश्वासों पर न बढ़ सको तो कम-से-कम क्या नहीं ढोना चाहिए?
(ଅଗର ବିଶ୍ଵାର୍ଥେ ପର୍ ନ ବଢୁ ସକୋ ତୋ କମ୍-ସେ-କମ୍ କ୍ୟା ନହଁ ଢୋନା ଚାହିଏ ?)
उत्तर:
अगर हम विश्वासों पर न बढ़ सके तो कम-से-कम साँसों के मुरदे नहीं ढोना चाहिए।
(ନିମ୍ନଲିଖୂ ପ୍ରଶ୍ନ କେ ଉତ୍ତର ଏକ୍-ଏକ୍ ଶବ୍ଦ ମେଁ ଦୀଜିଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଗୋଟିଏ-ଗୋଟିଏ ଶବ୍ଦରେ ଦିଅ : )
(क) प्रस्तुत कविता का कवि कौन है?
(ପ୍ରସ୍ତୁତ କତା କା କଣ୍ଟି କୌନ୍ ହୈ ?)
उत्तर:
रामेश्वर शुक्ल अंचल
(ख) कम-से-कम क्या नहीं बोना चाहिए?
(କମ୍-ସେ-କମ୍ କ୍ୟା ନହୀ ବୋନା ଚାହିଏ ?)
उत्तर:
काँटे
(ग) चेतना की घाटी का स्वरूप कैसा है?
(ଚେତନା କୀ ଘାଟୀ କା ସ୍ଵରୂପ୍ କୈସା ହୈ ?)
उत्तर: अगम
(घ) मानव के मन को क्या माना गया है?
(ମାନବ୍ କେ ମନ୍ କୋ କ୍ୟା ମାନା ଗୟା ହୈ ?)
उत्तर:
कमजोर
(ङ) किसकी शीतल छाया में कटुता का शमन हो सकता है?
(କିସ୍ ଶୀତଲ୍ ଛାୟା ମେଁ କଟୁତା କା ଶମନ୍ ହୋ ସକ୍ତା ହୈ ?)
उत्तर:
ममता
(च) किसके धुल जाने से मुँदे नयन खुल जाते हैं?
(କିସ୍ ଧୂଲ୍ ଜାନେ ସେ ମୁଁଦେ ନୟନ୍ ଖୁଲ୍ ଜାତେ ହୈ?)
उत्तर:
ज्वालाएँ के।
(छ) किस पर विश्वास करना चाहिए?
(କିସ୍ ପର୍ ବିଶ୍ଵାସ୍ କର୍ନା ଚାହିଏ ? )
उत्तर:
सपने
(ज) सुख की कौन-सी मदिरा में जागने वाले को चेतन कहा गया है?
(ସୁଖ୍ କୀ କୌନ୍-ସୀ ମଦିରା ମେଁ ଜାଗନେ ୱାଲେ କୋ ଚେତନ କହା ଗୟା ହୈ ?)
उत्तर:
अभिमानी
(झ) संशय का कुहासा कैसा होता है?
(ସଂଶୟ କା କୁହାସା କୈସା ହୋତା ହୈ?)
उत्तर: सूक्ष्
(ञ) किसके मुर्दे ढोने के लिए मना किया गया है?
(କିସ୍ ମୁହେଁ ଜୋନେ କେ ଲିଏ ମନା କିମ୍ବା ଗୟା ହୈ ?)
उत्तर:
साँसों के
(ନିମ୍ନଲିଖତ୍ ଅବତରଣୋ କେ ଅର୍ଥ ସ୍ପଷ୍ଟ କୀଜିଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଅବତରଣଗୁଡ଼ିକର ଅର୍ଥ ସ୍ପଷ୍ଟ କର : )
(क) यदि फूल नहीं बो सकते तो
काँटे कम-से-कम मत बोओ ।
(ୟଦି ଫୁଲ୍ ନହୀ ବୋ ସକତେ ତୋ)
(କାଁଟେ କମ୍-ସେ-କମ୍ ମତ ବୋଓ )।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि अगर तुम किसी के रास्ते में फूल नहीं बिछा सकते तो काँटें भी मत बिछाओ। इसका अर्थ यह है कि अगर तुम किसी का उपकार नहीं कर सकते तो कम-से- कम अपकार मत करो।
(ख) ज्वालाएँ जब धूल जाती हैं
खुल- खुल जाते हैं मुँदे नयन।
ଜ୍ଵାଲାଏଁ ଜବ୍ ଧୂଲ୍ ଜାତୀ ହୈ
ଖୁଲ୍-ଖୁଲ୍ ଜାତେ ହୈ ମୁଁଦେ ନୟନ।
उत्तर:
इसमें कवि यह कहते हैं कि शान्ति और सौहार्द के सुखद स्पर्श से जीवन की ज्वालाए धूल जाती हैं।
(ग) है अगम चेतना की घाटी।
(ହି ଅଗମ୍ ଚେତନା କୀ ଘାଟୀ ।)
उत्तर:
अंचल कहते हैं कि चेतना की घाटी अगम होती है क्यों कि मानव का मन बहुत ही कमजोर होता है।
(घ) सुख की अभिमानी मदिरा में जो जाग सका, वह है चेतन।
ସୁଖ୍ କୀ ଅଭିମାନୀ ମଦିରା ମେଁ ଜୋ ଜାଗ ସକା, ୱହ ହୈ ଚେତନ।
उत्तर:
कवि के अनुसार जो व्यक्ति दुःख में भी जी सका, वही सच्चा चेतन प्राणी है। क्योंकि जीवन सुख-दुःख दोनो से बना है। इसी कारण कवि ने कहा है कि ‘सुख की अभिमानी मदिरा में जो जा सका, वह है चेतन’।
(ङ) यदि बढ़ न सको विश्वासों पर
साँसों के मुरदे मत ढोओ।
ୟଦି ବଢ଼ି ନ ସ ବିଶ୍ଵାସୌ ପର୍
ସାଁର୍ଡୋ କେ ମୁରଦେ ମତ୍ ଢୋଓ।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि संकट चाहे कितना ही गहरा क्यों न हो, अपना विश्वास, धैर्य और साहस कभी भी नहीं खोना चाहिए। ऐसा न होने पर आदमी एक जिंदा लाशा की तरह हो जाएगा।
(ରିକ୍ତ ସ୍ଥାନୌ କୀ ପୂର୍ତ୍ତି କୀଜିଏ : )
(ଶୂନ୍ୟସ୍ଥାନ ପୂରଣ କର : )
(क) है अगम ……………… की घाटी, कमजोर बड़ा मानव का ……………….।
उत्तर:
चेतना, मन
(ख) होकर निर्मलता में …………….. बहता प्राणों का ……………… पवन।
उत्तर:
प्रशान्त, क्षुब्ध
(ग) हर …………………… पर विश्वास करो, लो लगा चाँदनी का ……………………..
उत्तर:
सपने, चन्दन
(घ) ……………….. की अभिमानी मदिरा में जो …………………….. सका, वह है चेतन।
उत्तर:
सुख, जाग
(ङ) संशय के सूक्ष्म ……………….में ………………. नहीं क्षण भर रमता।
उत्तर:
कुहासे, विश्वास
(क) किसके घेरों में मारुत का जयघोष नहीं थमता?
(i) शत्रुओं के
(ii) मनुष्यों के
(iii) बादलों के
(iii) बादलों के
(iv) बिजली के
उत्तर:
(iii) बादलों के
(ख) किसमें बीते हुए जीवन को याद नहीं करना चाहिए?
(i) ज्वालाओं में
(ii) दुःख में
(ii) सुख में
(iv) विपत्ति में
उत्तर:
(i) ज्वालाओं में
(ग) मानव के मन को कहा गया है
(i) चंचल
(ii) कमजोर
(iii) चेतन
(iv) सजग
उत्तर:
(ii) कमजोर
(घ) सुख की अभिमानी मदिरा में जीनेवाले को कहा गया है
(i) शराबी
(ii) सुखी
(iii) घमण्डी
(iv) चेतन
उत्तर:
(iv) चेतन
(ङ) किसकी शीतल छाया में कटुता का शमन होता है?
(i) ममता की
(ii) पेड़ की
(iii) प्रेम की
(iv) घर की
उत्तर:
(i) ममता की
1. प्रयुक्त तुकवाले शब्द लिखिए:
(ପ୍ରସ୍ତୁତ୍ ପାଠ୍ ମେଁ ପ୍ରୟୁକ୍ତ ତୁକଲେ ଶବ୍ଦ ଲିଖୁଏ : )
(ପ୍ରସ୍ତୁତ ପାଠରେ ଯତିପାତ ଶବ୍ଦ ଲେଖ ।)
उदाहरण: नयन – पवन। ममता – कटुता।
(तुक = शब्दों के अंत के समान अंश, जैसे- ‘न’ और ‘ता’)
उत्तर:
मन – शमन,
चंदन – जीवन,
तन – मन,
जमता – कमता,
रमता – थमता,
ढोओ – बोओ,
सोओ – बोओ।
2. प्रस्तुत कविता में बहुत सारे विशेषण शब्दों का प्रयोग हुआ है।
(ପ୍ରସ୍ତୁତ କବିତା ମେଁ ବହୁତ୍ ସାରେ ବିଶେଷଣ ଶରେଁ କା ପ୍ରୟୋଗ ହୁଆ ହୈ ।)
(ପ୍ରସ୍ତୁତ କବିତାରେ ଅନେକଗୁଡ଼ିଏ ବିଶେଷଣ ଶବ୍ଦର ପ୍ରୟୋଗ ହୋଇଅଛି ।)
जैसे- अगम, कमजोर, शीतल आदि।
इस तरह दूसरे विशेषण शब्दों को छाँटिए।
(ଇସ୍ ତରହ ଦୂସ୍ରେ ବିଶେଷଣ-ଶରେଁ କୋ ନାଁଟିଏ ।)
(ଏହିପରି ଅନ୍ୟ ବିଶେଷଣ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକୁ ବାଛି ଲେଖ ।)
उत्तर:
मुँदै, क्षुब्ध, अभिमानी, सूक्ष्म
3. प्रस्तुत कविता में बहुत सारे विशेषण शब्दों का प्रयोग हुआ है।
(ପ୍ରସ୍ତୁତ୍ ପାଠ୍ ମେଁ ‘ପ୍ରଶାନ୍ତ’ ଶବ୍ଦ ଆୟା ହୈ ।)
(ପ୍ରସ୍ତୁତ ପାଠରେ ‘ପ୍ରଶାନ୍ତ’ ଶବ୍ଦ ଅଛି ।)
इस शब्द के पहले लगा हुआ अंश ‘प्र’ एक उपसर्ग है। यह अधिकता का सूचक है।
(ଇସ୍ ଶବ୍ଦ କେ ପହଲେ ଲଗା ହୁଆ ଅଂଶ ‘ପ୍ର’ ଏକ୍ ଉପସର୍ଗ ହୈ ୟହ ଅଧ୍ଵକତା କା ସୂଚକ ହୈ ।)
(ଏହି ଶବ୍ଦର ଆରମ୍ଭରେ ଲଗାଯାଇଥିବା ଅଂଶ ‘ପ୍ର’ ଏକ ଉପସର୍ଗ। ଏହା ଅଧ୍ଵକତାର ସୂଚକ ।)
जो शब्दांश किसी मूल शब्द के पहले लगकर उसके अर्थ या भाव को बदल देते हैं, उन्हें उपसर्ग कहते हैं।
(ଜୋ ଶତାଂଶ କିସୀ ମୂଳ ଶବ୍ଦ କେ ପହଲେ ଲଗ୍କର୍ ଉସକେ ଅର୍ଥ ୟା ଭାଙ୍ଗୁ କୋ ବଦଳ ଦେତେ ହେଁ, ଉର୍ଦ୍ଧ୍ୱ ଉପସର୍ଗ କହତେ ହୈ ।)
(ଯେଉଁ ଶତାଂଶ କୌଣସି ମୂଳ ଶବ୍ଦର ପୂର୍ବରୁ ଲାଗକରି ତାହାର ଅର୍ଥ ବା ଭାବକୁ ବଦଳାଇ ଦିଏ, ତାହାକୁ ‘ଉପସର୍ଗ’ କୁହାଯାଏ ।)
इस तरह के उपसर्ग-प्रयुक्त शब्दों की सूची तैयार कीजिए।
(ଇସ୍ ତରହ କେ ଉପସର୍ଗ-ପ୍ରଯୁକ୍ତ ଶର୍କୋ କୀ ସୂଚୀ ତୈୟାର କୀଜିଏ ।)
(ଏହିପରି ଉପସର୍ଗ ବ୍ୟବହୃତ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ସୂଚୀ ପ୍ରସ୍ତୁତ କର ।)
उत्तर:
अगम, कमजोर, अभिमनी, संकल्प, अनसुना, अचीह्ना