10th Class Hindi ( ହିନ୍ଦୀ ) - Prose Chapter 1 मधुर भाषण All Question With Answer
↓ Question & Answer ↓
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिए:
(ନିମ୍ନଲିଖୂ ପ୍ରଶ୍ନୋ କେ ଉତ୍ତର୍ ଦୋ-ତୀନ୍ ବାର୍କୋ ମେଁ ଦୀଜିଏ : )
(ତଳଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଦୁଇ-ତିନୋଟି ବାକ୍ୟରେ ଉତ୍ତର ଦିଅ : )
(क) भाषा के द्वारा मनुष्य ने किस प्रकार की उन्नति की है?
(ଭାଷା କେ ଦ୍ଵାରା ମନୁଷ୍ୟ ନେ କିସ୍ ପ୍ରକାର୍ କୀ ଉନ୍ନତି କୀ ହୈ ?)
उत्तर:
भाषा के कारण ही मनुष्य उतनी उन्नति कर सका है, जानवरों के पास कोई भाषा न होने के कारण वह जहाँ का तहाँ बना हुआ है। किन्तु मनुष्य दिन प्रतिदिन उन्नति करता चला आया है। अन्य जानवरों की अपक्षा मनुष्य भौतिक लमें न्यून होता हुआ भी अपनी बुद्धि और भाषा के सहारे अधिक सबल हो गया है। भाषा के द्वारा मनुष्य पेच महाभूतो को अपने वश में कर लिया है। भाषा द्वारा हमारे ज्ञान और अनुभव की रक्षा होती है।
(ख) मधुर भाषण किसे कहते हैं?
(ମଧୁର୍ ଭାଷଣ୍ କିସେ କହତେ ହୈ ?)
उत्तर:
जो वस्तु या बातचीत मनोनुकूल होती है, जिससे चित्त दूषित होता है, वही मधुर कहलाती माधुर्य भाषा का भी गुण है। चित्त को पिधलाने वाला जो आनंद होता है उसे माधुर्य कहते हैं। मधुर भाषण हृदयद्वार के खोलने की कुंजी है। वचनों की मधुरता और आकर्षण पूरन के तत्वाकर्षण और चुंबक के आकर्षण से भी बढ़कर है।
(ग) बाणभट्ट ने अपने छोटे लड़के को पुस्तक पूरी करने के लिए क्यों कहा?
(ବାଣଭଟ୍ଟ ନେ ଅପ୍ନେ ଛୋଟେ ଲଡ଼କେ କୋ ପୁସ୍ତକ୍ ପୂରୀ କର୍ନେ କେ ଲିଏ ଜ୍ୟୋ କହା ?)
उत्तर:
बाणभट्ट ने अपने छोटे लड़के को पुस्तक पुरी करने के लिए इसलिए कहा क्योंकि पुस्तक को साहित्यिक भाषा में लिखने की योग्यता केवल उसमें ही थी। यह बात तब साबित होती है जब बाणभट्ट ने अपने दोनों पुत्रों को बुलाकर एक सुखे हुए वृक्ष को किस प्रकार अपनी भाषा में व्यक्त करोगे इसके बारे में पूछा। जिसे अति सुंदर और प्रभावशाली भाषा में छोटे लड़के ने समझा दिया। इसलिए भाव को प्रभावशाली भाषा में व्यक्त कर देना ही साहित्य है।
(घ) किन-किन गुणों के कारण मनुष्य आदरभाजन बनता है?
(କିନ୍-କିନ୍ ଗୁରୌ କେ କାରଣ ମନୁଷ୍ୟ ଆଦରଭାଜନ ବନତା ହୈ ?)
उत्तर:
वार्तालाप की शिष्टता मनुष्य को आदर का भाजन बनाती है और समाज से उसकी सफलता के लिए रास्ता साफ कर देती है। मनुष्य की पोशाक और चालढाल सीधे समाज पर प्रभाव डालती है। सामाजिक व्यवहार के लिए विचारों का आदान-प्रदान आवश्यक है और भाषा की सार्थकता इसी में है कि वह दूसरों पर यथेष्ट प्रभाव डाल सके।
(ङ) मधुर वचन और कटु वचन बोलनेवालों को क्या मिलता है?
(ମଧୁର୍ ଚନ୍ ଔର୍ କଟୁ ଵଚନ୍ ବୋଲନେୱାର୍ଲୋ କୋ କ୍ୟା ମିଲ୍ ହୈ ?)
उत्तर:
मधुर वचन ही विश्वास अत्पन्न कर भय और आतंक का परिभार्जन कर देते हैं। कटु भाषीलोगों से लोग हृदय खोलकर बात करने में अन्त हैं। जबकि कटुवचन आदमी को स्पष्ट कर सकते हैं तो मधुर वचन दूसरे को प्रसन्न भी कर सकते हैं। शब्दों को जादू बड़ा जबर्दस्त होता है। वही एक कटुवचन सोर किए – धरे पर पानी फेर सकता है। मधुर भाषण द्वारा मनुष्य की शिक्षा – दीक्षा और कुल की परंपरा और मर्यदा का परिचय मिलता है।
(च) किसी काम को करने के लिए सज्जन का पहला कर्त्तव्य क्या है?
(କିସୀ କାମ୍ କୋ କର୍ନେ କେ ଲିଏ ସଜନ କା ପହଲା କର୍ତ୍ତବ୍ୟ କ୍ୟା ହୈ ?)
उत्तर:
किसी काम को करने के लिए सज्जन का पहला कर्त्तव्य है यह कि अपने से कम स्थिति के लोगों के स्वाभिमान की रक्षा करना। जो काम करना है उसको प्रसन्नता से करना चाहिए और उसके संबंध में कोई ऐसे शब्द भी न कहने चाहिए जिनसे प्रकट हो कि यह काम नाखुशी से किया जा रहा है या उस काम के करने से दूसरे के साथ एहसान किया जा रहा है।
(छ) वातीलाप में व्यापारिक बातचीत और निजी बातचीत में क्या अंतर है?
(ବାର୍ତ୍ତାଳାପ୍ ମେଁ ବ୍ୟାପରୀକ୍ ବାତ୍ତ୍ ଔର୍ ନିଜୀ ବାତ୍ତ୍ ମେଁ କ୍ୟା ଅନ୍ତର୍ ହୈ ?)
उत्तर:
व्यापारिक बातचीत जाब्ते की बातचीत होनी चाहिए जबकि निजी बातचीत में खुलापन होना चाहिए। व्यापारिक बातचीत अशिष्ट नहीं होती चाहिए। वह नपी तुली हो सकती है। निजी संबंध की बातचीत में अत्मीयता का अभाव न रहना चाहिए और थोड़ा सा कष्ट उठाकर बात को पूरी तौर से समझा देना अपना कर्त्तव्य होता है।
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ପ୍ରଶ୍ନୋ କେ ଉତ୍ତର୍ ଏକ ଯା ଦୋ ୱାର୍କୋ ମେଁ ଦୀଜିଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଗୋଟିଏ-ଦୁଇଟି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ : )
(क) मनुष्य की सामाजिकता किसके द्वारा कायम रहती है?
(ମନୁଷ୍ୟ କୀ ସାମାଜିକତା କିସ୍ ଦ୍ଵାରା କାୟମ୍ ରହତୀ ହୈ ?)
उत्तर:
मनुष्य की सामाजिकता भाषा के द्वारा कायम रहती है।
(ख) कैसा शब्द दो रूठों को मिला देता है और कैसा शब्द दो मित्रों के मन में वैमनस्य उत्पन्न कर देता है?
(କୈସା ଶବ୍ଦ ଦୋ ରୁର୍ଡୋ କୋ ମିଲା ଦେତା ହୈ ଔର୍ କୈସା ଶବ୍ଦ ଦୋ ମିସ୍ଟ୍ରୋ କେ ମନ୍ ମେଁ ବୈମନଷ୍ୟ ଉତ୍ପନ୍ନ କର୍ ଦେତା ହୈ ?)
उत्तर:
मधुर शब्द दो रूठों को मिला देता है और कटु शब्द दो मित्रों के मन में वैमनस्य उत्पन्न कर देता है।
(ग) बाणभट्ट की कौन-सी किताब अधूरी रह गयी थी?
(ବାଣଭଟ୍ଟ କୀ କୌନ୍-ସୀ କିତାବ୍ ଅଧୂରୀ ରହ୍ ଗୟୀ ଥୀ?)
उत्तर:
बाणभट्ट की ‘कादंबरी’ अधूरी रह गयी थी।
(घ) बार्तालाप की शिष्टता से हमें क्या लाभ मिलता है?
(ବାର୍ତ୍ତାଳାପ୍ କୀ ଶିଷ୍ଟତା ସେ ହର୍ମେ କ୍ୟା ଲାଭ ମିତା ହୈ ? )
उत्तर:
वार्तालाप की शिष्टता से हम आदर भाजन बनते हैं। समाज में हमारी सफलता के लिए रास्ता साफ हो जाता है।
(ङ) कथनी और करनी में साम्य क्यों आवश्यक है?
(କଥନୀ ଔର୍ କରନୀ ମେଁ ସାମ୍ୟ ବ୍ୟୋ ଆବଶ୍ୟକ୍ ହୈ ?)
उत्तर:
मधुर भाषी के लिए कथनी और करनी में साम्य आवश्यक है क्योंकि कर्म के लिए वचन पहली सीढ़ी है।
(च) मनुष्य कब वंद्य बनता है?
ମନୁଷ୍ୟ କବ ବନ୍ଦ୍ୟ ବନ୍ତା ହେ ?
उत्तर:
वचन के अनुकूल कर्म करने पर मनुष्य वंद्य बनता है। मन, वाणी और कर्म का सामंजस्य ही मनुष्य को श्रेष्ठता के पद पहुँचाता है।
(ନିମ୍ନଲିଖୂ ପ୍ରଶ୍ନୋ କେ ଉତ୍ତର୍ ଏକ୍ ଶବ୍ଦ ୟା ଏକ୍ ୱାକ୍ୟ ମେଁ ଦୀଜିଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଗୋଟିଏ ଶବ୍ଦ ବା ଗୋଟିଏ ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ : )
(क) भाषा द्वारा किसकी रक्षा होती है?
(ଭାଷା ଦ୍ବାରା କିସ୍ ରକ୍ଷା ହୋତୀ ହୈ ?)
उत्तर:भाषा द्वारा हमारे ज्ञान और अनुभव की रक्षा होती है।
(ख) ‘मधुर भाषण’ निबंध के लेखक कौन हैं ?
(‘ମଧୁର୍ ଭାଷଣ୍’ ନିବନ୍ଦ୍ କେ ଲେଖକ୍ କୌନ୍ ହେଁ ?)
उत्तर:‘मधुर भाषण’ निबन्ध के लेखक गुलाब राय हैं।
(ग) कौन मनुष्य को आदर भाजन बनाती है?
(କୌନ୍ ମନୁଷ୍ୟ କୋ ଆଦର୍ ଭାଜନ୍ ବନାତୀ ହୈ ?)
उत्तर:वातीलाप की शिष्टता
(घ) मधुर भाषी के लिए किसमें साम्य रखने की आवश्यकता है?
(ମଧୁର ଭାଷୀ କେ ଲିଏ କିସ୍ ସାମ୍ୟ ରଖ୍ କୀ ଆଶ୍ୟକତା ହୈ ?)
उत्तर:मधुर भाषी के लिए कथनी और करनी में साम्य रखने की आवश्यकता है।
(ङ) किन-किन का सामंजस्य मनुष्यता को श्रेष्ठता के पद पर पहुँचाता है?
(କିନ୍-କିନ୍ କା ସାମଞ୍ଜସ୍ୟ ମନୁଷ୍ୟତା କୋ ଶ୍ରେଷ୍ଠତା କେ ପଦ୍ ପର୍ ପହୁଁଚାତା ହୈ ?)
उत्तर:मन, वाणी और कर्म
(च) किन-किन का योग नहीं हो सकता?
(କିନ୍-କିନ୍ କା ୟୋଗ ନହୀ ହୋ ସକ୍ତା ?)
उत्तर:हृदय की मलिनता और मधुर वचनों का योग नहीं हो सकता।
(छ) किसकी दो लातें भी सहन की जाती हैं?
(କିସ୍ ଦୋ ଲାହେଁ ଭୀ ସହନ୍ କୀ ଜାତୀ ହୈ ?)
उ – दूधारू गाय
(ज) शिष्टता क्या है?
(ଶିଷ୍ଟତା କ୍ୟା ହୈ ?)
उत्तर:वाणी में मधुरता के साथ विनयपूर्ण व्यवहार ही शिष्टता है।
(झ) किसकी रक्षा सज्जन का पहला कर्त्तव्य है?
(କିସକୀ ରକ୍ଷା ସଜ୍ଜନତା କା ପହଲା କର୍ତ୍ତବ୍ୟ ହୈ ?)
उत्तर:लोगों के स्वाभिमान की रक्षा सज्जन का पहला कर्त्तव्य है।
(ञ) निजी संबंध की बातचीत में किसका अभाव न रहना चाहिए?
(ନିଜୀ ସମ୍ବନ୍ଧ କୀ ବାତ୍ରୀତ୍ ମେଁ କିସ୍ ଅଭା ନ ରହନା ଚାହିଏ ?)
उत्तर:आत्मीयता
1. निम्नलिखित में से विशेषण शब्दों को चुनकर लिखिए:
(ନିମ୍ନଲିଖତ୍ ମେଁ ସେ ବିଶେଷଣ ଶବ୍ଦ କୋ ଚୁନ୍କର୍ ଲିଗ୍ : )
(ନିମ୍ନଲିଖ ମଧ୍ୟରୁ ବିଶେଷଣ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକୁ ବାଛି କରି ଲେଖ : )
विश्वास, भौतिक, पटु, माधुर्य, वचन, शिष्टता, प्रसन्नता, व्यापारिक, सौद्धान्तिक, मर्यादा, अभिमान।
उत्तर:
भौतिक, व्यापारिक, सौद्धान्तिक, पटु।
2. निम्नलिखित शब्दों के लिंग बताइए:
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶବ୍ଦା କେ ଲିଙ୍ଗ୍ ବତାଇଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ଲିଙ୍ଗ ନିରୂପଣ କର ।)
गंध, भाव, कर्त्तव्य, परंपरा, भाषा, भाषण, वचन, वाणी, साहित्य, उन्नति।
गंध – स्रीलिंग
कर्तव्य – पुंलिंग
भाषा – स्रीलिंग
वचन – पुंलिंग
साहित्य – पुंलिंग
भाव – पुलिंग
परपरा – स्रीलिंग
भाषण – पुलिंग
वाणी – स्रीलिंग
उन्नति – स्रीलिंग
3. निम्नलिखित के पर्यायवाची शब्द लिखिए:
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ କେ ପର୍ଯ୍ୟାୟୱାଚୀ ଶବ୍ଦ ଲିଗ୍ : )
(ନିମ୍ନଲିଖତ ଶବ୍ଦସବୁର ପର୍ଯ୍ୟାୟବାଚୀ ଶବ୍ଦ ଲେଖ ।)
मनुष्य, चित्र, पुस्तक, मधुर, कटु, आनंद।
उत्तर:
मनुष्य मानव
पुस्तक – किताब/ग्रंथ
कटु – कड़वा/कर्कश
चित्र – तस्वीर/फोटो
मधुर – मीठा
आनंद – खुशी/प्रसन्न
4. निम्नलिखित शब्दों के विलोम रूप लिखिए:
(ନିମ୍ନଲିଖତ୍ ଶବ୍ଦା କେ ବିଲୋମ୍ ରୂପ୍ ଲିଗ୍ : )
(ନିମ୍ନଲିଖତ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ବିପରୀତ ଶବ୍ଦ ଲେଖ : )
ज्ञान, उन्नति, सच्चा, मधुर, आनंद, मित्र, बड़ा ।
उत्तर:
ज्ञान – अज्ञान
सच्चा – झूठा
आनंद – निरांनद
बड़ा – छोटा
5. निम्नलिखित शब्दों के प्रयोग से एक-एक वाक्य बनाइए:
(ନିମ୍ନଲିଖତ୍ ଶବ୍ଦା କେ ପ୍ରୟୋଗ ସେ ଏକ୍-ଏକ୍ ୱାକ୍ୟ ବନାଇଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକୁ ପ୍ରୟୋଗ କରି ଗୋଟିଏ ଗୋଟିଏ ବାକ୍ୟ ଗଢ଼ : )
वचन, भाषण, चाल-ढाल, आदान-प्रदान, सामंजस्य, इनकार, आत्मीयता ।
उत्तर:
वचन – मधुर वचन दूसरों को प्रसन्न कर सकता है।
भाषण – हिमांशु अच्छा भाषण दे रहा है।
चाल-ढाल- तुम्हारी चाल-ढाल ठीक नहीं लगती।
आदान-प्रदान-सामाजिक व्यवहार के लिए विचारों का आदान-प्रदान आवश्यक है।
सामंजस्य- हृदय की मालिनता और मधुर वचन में कोई सामंजस्य नहीं होता।
इनकार – अर्चना ने सोनाली को किताब देने से इनकार कर दिया।
आत्मीयता – राकेश की बातों में आत्मीयता की झलक देखने को मिलती है।
6. निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ୱାର୍କୋ କୋ ଶୁଦ୍ଧ କର୍କେ ଲିଗ୍ : )
(ନିମ୍ନଲିଖିତ ବାକ୍ୟଗୁଡ଼ିକୁ ଶୁଦ୍ଧ କରି ଲେଖ ।)
(क) भाषा मनुष्य के विशेष अधिकार है।
उत्तर:
भाषा पर मनुष्य का विशेष अधिकार है।
(ख) हृदय का मलीनता और मधुर वचनो में योग नहीं हो सकता।
उत्तर:
हृदय की मलिनता और मधुर वचनों में योग नहीं हो सकता।
(ग) कटुभाषी लोगों में लोग हृदय खोलकर बात करने में डरते हैं।
उत्तर:
कटुभाषी लोगों से लोग हृदय खोलकर बात करने में डरती हैं।
(घ) भाव को प्रभावशाली भाषा के व्यक्त कर देना ही साहित्य है।
उत्तर:
भाव को प्रभावशाली भाषा में व्यक्त कर देना ही साहित्य है।
(ङ) मधुर वचन दूसरे में प्रसन्न भी कर सकते हैं।
उत्तर:
मधुर वचन दूसरों को प्रसन्न भी कर सकते हैं।
7. ‘ता’ प्रत्यय लगाकर शब्द बनाइए:
(‘ତା’ ପ୍ରତ୍ୟୟ ଲଗାକର୍ ଶବ୍ଦ ବନାଇଏ : )
(‘ତା’ ପ୍ରତ୍ୟୟ ଲଗାଇ ଶବ୍ଦ ଗଢ଼ : )
सामाजिक, मनुष्य, प्रसन्न, अशिष्ट, मलीन
उत्तर:
सामाजिक + ता = सामाजिकता
प्रसन्न + ता = प्रसन्नता
मलीन + ता = मलीनता
मनुष्य + ता = मनुष्यता
अशिष्ट + ता = अशिष्टता
8. ‘इक’ प्रत्यय लगाकर शब्द बनाइए :
(‘ଇକ’ ପ୍ରତ୍ୟୟ ଲଗାକର୍ ଶବ୍ଦ ବନାଇଏ : )
(‘ଇକ୍’ ପ୍ରତ୍ୟୟ ଲଗାଇ ଶବ୍ଦ ଗଢ଼ : )
विचार, नीति, इतिहास, भूत, समाज, साहित्य, सिद्धांत, व्यापार
उत्तर:
विचार + इक = वैचारिक
इतिहास + इक = ऐतिहासिक
समाज + इक = सामाजिक
सिद्धांत + इक = सौद्धातिक
नीति + इक = नैतिक
भूत + इक = भौतिक
साहित्य + इक = साहित्यिक
व्यापार + इक = व्यापारिक
निम्नलिखित वाक्यों को याद रखिए :
(ନିମ୍ନଲିଖତ୍ ୱାର୍କୋ କୋ ୟାଦ୍ ରଖୁ ;
(ନିମ୍ନଲିଖୂତ ବାକ୍ୟଗୁଡ଼ିକୁ ମନେରଖ : )
(क) वाणी और कर्म में सामंजस्य ही मनुष्य को श्रेष्ठता के पद पर पहुँचाता है।
(ख) मधुरभाषी के लिए कथनी और करनी का साम्य आवश्यक है।
(ग) चित्त को पिघलानेवाला जो आनंद होता है, उसे ‘माधुर्य’ कहते हैं।
(घ) वार्तालाप की शिष्ठता मनुष्य को आदर भाजन बनाती है।
योग्यता विस्तार: (ଯୋଗ୍ୟତା ବିସ୍ତାର : )
(क) कक्षा में ‘मधुर’ भाषण का एक कार्यक्रम आयोजित कीजिए।
(ଶ୍ରେଣୀରେ ‘ମଧୁର’ ଭାଷଣର ଏକ କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମ ଆୟୋଜିତ କର ।)
(ख) अपनी योग्यता बढ़ाने के लिए ऊपर छाँटकर दिए गए मधुर वाक्यों को याद रखिए और अपने भाषण को सरस बनाने के लिए इसका उपयोग कीजिए।
(ନିଜର ଯୋଗ୍ୟତା ବୃଦ୍ଧି ପାଇଁ ଉପର ଲିଖ୍ ମଧୁର ବାକ୍ୟଗୁଡ଼ିକୁ ମନେରଖ ଏବଂ ନିଜର ଭାଷଣକୁ ସରସ କରିବାପାଇଁ ଏହାର ଉପଯୋଗ କର ।)