10th Class Hindi ( ହିନ୍ଦୀ ) - Prose Chapter 2 बोध All Question With Answer
↓ Question & Answer ↓
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिए:
(ନିମ୍ନଲିଖୂ ପ୍ରଶ୍ନୋ କେ ଉତ୍ତର୍ ଦୋ-ତୀନ୍ ବାକେଁ ମେଁ ଦୀଜିଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖତ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଦୁଇ-ତିନୋଟି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ : )
(क) पण्डित चन्द्रधर हमेशा क्यों पछताया करते थे?
(ପଣ୍ଡିତ ଚନ୍ଦ୍ରଧର ହମେଶା ଜ୍ୟୋ ପଛତାୟା କରତେ ଥେ ?)
उत्तर:
पण्डित चन्द्रधर अपनी नौकरी के बारे में सोचते हुए पछताया करते थे कि कहाँ से इस जंजाल में आ फँसे। पंडितजी का मानना था कि यदि वे किसी अन्य विभाग में नौकरी करते तो हाथ में चार पैसे होते अर्थात् जिदंगी आराम से गुजरता परंतु इस शिक्षकता की नौकरी न खाने का सुख, न पहनने का आराम।
(ख) पण्डितजी क्यों कहा करते थे कि ‘हमसे तो मजूर ही भले’?
(ପଣ୍ଡିତ୍ କୈ କହା କର୍ତେ ଥେ କି ‘ହମ୍ ତୋ ମୟୂର ହୀ ଭଲେ’ ?)
उत्तर:
पंडितजी अपने रोजगार और पेशे की तुलना दूसरों से करते थे। पंडितजी का मासिक बेतन के रुप में सिर्फ पंद्रह रूपये मिलते थे। यह भी इधर आए, उधर गायब। उन्हें न खाने का सुख, न पहनने का आराम। इसलिए पंडितजी कहा करते थे, कि हमसे तो मजूर ही भले। जो उनसे अच्छी जिंदगी जीत हैं। कम से कम मजूर अपनी मजूरी तो घर में रोज लाते हैं। उससे से मजदूरों की जिंदगी आराम से कटती। पंडितजी अपने पड़ोसियों की ठाट-बाट देखकर जलते और अपने भाग्य को कोसते थे।
(ग) ठाकुर अतिबल सिंह और मुंशी बैजनाथ के लिए बाजार में कैसे अलग भाव था?
(ଠାକୁର ଅତିବଲ୍ ସିଂହ ଔର୍ ପୁଂଶୀ ବୈଜନାଥ୍ କେ ଲିଏ ବାଜାର୍ ମେଁ କୈସେ ଅଲ୍ଗ୍ ଭାୱ ଥା?)
उत्तर:
ठाकुर अतिबल सिंह और मुंशी बैजनाथ के लिए बाजार में अलग भाव था। बह चार पैसे की चीज टके में लाते थे। उन लोगों को लकड़ी ईंधन, जलावन मुफ्त में मिलता था। उ लोगों की पद और रोष दाब को देखते ही बनिए सलाम करते थे।
(घ) ठाकुर साहब और मुंशीजी की कृपा के बदले में पण्डितजी को क्या करना पड़ता था?
(ଠାକୁର ସାହବ୍ ଔର୍ ମୁଁଶୀଜୀ କୀ କୃପା କେ ବଦଲେ ମେଁ ପଣ୍ଡିତଜୀ କୋ କ୍ୟା କନା ପଡ଼ତା ଥା ?)
उत्तर:
ठाकुर साहब और मुंशीजी की कृपा के बदले में पंडितजी को ठाकुर साहब के दो और मुंशीजी के तीन लड़कों की निगरानी करनी पड़ती। मुंशी जी कहते यह लड़के अवारा हुए जाते हैं, जरा इनका ख्याल रखिए। ठाकुर साहब और मुशीजी की कृपा के बदले में पंडितजी को कभी-कभी दूध-दही के दर्शन हो जाते, कभी आचार – चटनी चख लेते। केवल इतना ही नहीं बाजार से चीजें भी सस्ती लाते।
(ङ) अपनी दुरवस्था से निकलनेके लिए पण्डितजी ने क्या किया?
(ଅପନୀ ଦୁରବସ୍ଥା ସେ ନିକଲ୍ନେ କେ ଲିଏ ପଣ୍ଡିତ୍ ନେ କ୍ୟା କିୟା ?)
उत्तर:
अपनी दुरवस्था से निकलने के लिए पंडितजी ने बड़े-बड़े यत्न किये थे। उन्होंने बड़े – बड़े अफसरों को पत्र लिखे, उनकी खुशामदें कीं पर आशा पुरी न होती थी।
(च) पण्डितजी पर अफसर लोग क्यों खुश थे?
(ପଣ୍ଡିତ୍ ପର୍ ଅଫସର୍ ଲୋର୍ କ୍ୟା ଖୁଶ୍ ଥେ ?)
उत्तर:
पंडितजी अपने काम में त्रुटि न होने देते थे। ठीक समय पर विद्यालय जाते, देर करके आते, मन लगाकर पढ़ाते थे। इससे उनके अफसर लोग खुश थे। उनकी कर्म निष्ठता और अच्छे व्यवहार के लिए साल में कुछ इनाम देते और वेतन वृद्धि का जब कभी अवसर आता तो अफसर उसका विशेष ध्यान रखते।
(छ) पहले मुसाफिर ने ठाकुर अतिवल सिंह को गाड़ी में क्यों नहीं बैठने दिया?
(ପହଲେ ମୁସାଫିର୍ ନେ ଠାକୁର୍ ଅତିବଲ୍ ସିଂହ କୋ ଗାଢ଼ୀ ମେଁ କେଁ ନହୀ ବୈଠନେ ଦିୟା ?)
उत्तर:
पहले मुसाफिर ने ठाकुर अतिबल सिंह को गाड़ी में इसलिए नहीं बैठने दिया क्योंकि ठाकुर साहब ने खुफिया फरोसी का अपराध उसके ऊपर लगाया था और नकद २५ रुपये लेकर उसके दरवाजे से टले थे।
(ज) ठाकुर साहब ने दूसरे मुसाफिर का क्या बिगाड़ा था?
(ଠାକୁର୍ ସାହବ୍ ନେ ଦୂସ୍ରେ ମୁସାଫିର୍ କା କ୍ୟା ବିଗାଡ଼ା ଥା ?)
उत्तर:
ठाकुर साहब ने दूसरे मुसाफिर को कल के मेले में कई डंड़े लगाए थे। मेले में दूसरा मुसफिर चुपचाप तमशा देखरहा था मगर ठाकुर साहब ने आकर उसका कचूमर निकाल दिया था। मार खाने के बाद भी वह चुप रहा था।
(झ) डाक्टर चोखेलाल मुंशी बैजनाथ से क्यों नाराज था?
(ଡାକ୍ଟର୍ ଚୋଖେଲାଲ୍ ମୁଁଶୀ ବୈଜନାଥ ସେ କ୍ୟା ନାରାଜ୍ ଥା ?)
उत्तर:
डॉक्टर चोखेलाल मुंशी बैजनाथ से नाराज था क्योंकि जब वह तहसील में लगान जमा कराने जाता था साल में दो बार उसकी देखभाल जाना पड़ता है। मुंशी जी डाँक्टर अपना हक वसूल कर लेते है। मुंशी जी न देते तो शाम तक खड़े रहते थे। स्याहा न हो। फिर जनाब कभी गाड़ी नाव पर, कभी नाव गाड़ी पर और फिर दस रूपये देते पड़े।
(ञ) पण्डित चन्द्रधर को नींद क्यों नहीं आयी?
(ପଣ୍ଡିତ ଚନ୍ଦ୍ରଧର କୋ ନୀନ୍ଦ କୈ ନହୀ ଆୟୀ?)
उत्तर:
सब लोग तो खा-पीकर सो गये। किन्तु पंडितजी चन्द्रधर का नींद नहीं आयी। उनकी विचार शक्ति इस यात्रा की घटनाओं को याद करने लगी। उस दिन की रेलगाड़ी की रगड़-झगड़ और चिकित्सालय की नोच-खसोट के सामने कृपाशंकर की सहायता और शालीनता अधिक प्रकाशमय दिखायी देती थी। इस तरह पंड़ितजी ने आज शिक्षक का गौरव समझा।
(ନିମ୍ନଲିଖୂ ପ୍ରଶ୍ନ କେ ଉତ୍ତର୍ ଏକ ୟା ଦୋ ୱାର୍କୋ ମେଁ ଦୀଜିଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖତ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଗୋଟିଏ ବା ଦୁଇଟି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ ।)
(क) पण्डित चन्द्रधर ने कहाँ मुदर्रिसी की थी?
“(ପଣ୍ଡିତ୍ ଚନ୍ଦ୍ରଧର ନେ କହାଁ ମୁଦରିସୀ କୀ ଥୀ ?)
उत्तर:
पण्डित चन्द्रधर ने एक अपर प्राइमरी में मुदर्रिसी की थी।
(ख) पण्डित जी के पड़ोस में कौन-कौन रहते थे?
(ପଣ୍ଡିତ୍ ଜୀ କେ ପଡ଼ୋସ୍ ହେଁ କୌନ୍-କୌନ୍ ରହତେ ଥେ ?)
उत्तर:
पण्डित जी के पड़ोस में मुंशी बैजनाथ और ठाकुर अतिबल सिंह रहते थे।
(ग) सन्ध्या को कचहरी से आने पर मुंशी बैजनाथ क्या करते थे?
(ସନ୍ଧ୍ୟା କୋ କଚହରୀ ସେ ଆନେ ପର ମୁଁଶୀ ବୈଜନାଥ କ୍ୟା କର୍ତେ ଥେ ?)
उत्तर:
सन्ध्या को कचहरी से आने पर मुंशी बैजनाथ बच्चों को पैसे और मिठाइयाँ देते थे। शराब- कबाब का मजा लेते थे।
(घ) ठाकुर साहब शाम को क्या करते थे?
(ଠାକୁର ସାହବ୍ ଶାମ୍ କୋ କ୍ୟା କର୍ତେ ଥେ ?)
उत्तर:
ठाकुर साहब शाम को आराम कुर्सी पर लेटे खुशबूदार खमीरा पीते थे।
(ङ) दोनों महाशयों को आते-जाते देखकर बनिये क्या करते थे?
(ଦୋର୍ଡୋ ମହାଶୟୈ କୋ ଆତେ-ଜାତେ ଦେଖ୍କର୍ ବନିୟେ କ୍ୟା କରତେ ଥେ ?)
उत्तर:
दोनों महाशयों को आते-जाते देखकर बनिये उठकर सलाम करते थे।
(च) पण्डित जी अपने भाग्य को क्यों कोसते थे?
(ପଣ୍ଡିତ୍ ଜୀ ଅପନେ ଭାଗ୍ୟ କୋ କୈ କୋସ୍ ଥେ ?)
उत्तर:
पण्डितजी मुंशी बैजनाथ और ठाकुर अतिबल सिंह के ठाट-बाट को देखकर कुढ़ते और अपने भाग्य को कोसते थे।
(छ) मुंशी जी ने पण्डितजी को किसका ख्याल रखनेको कहा और क्यों?
(ମୁଁଶୀ ଜୀ ନେ ପଣ୍ଡିତ୍ କୋ କିସ୍କା ଖ୍ୟାଲ ରଖ୍ କୋ କହା ଔର୍ କେଁ ?)
उत्तर:
मुंशीजी ने पण्डितजी को उनके लड़कों का ख्याल रखने को कहा क्योंकि वे आवारा हुए थे जा रहे।
(ज) ऊसर की खेती किसे कहा गया है?
(ଊସର୍ କୀ ଖେତୀ କିସେ କହା ଗୟା ହୈ ?)
उत्तर:
शिक्षा विभाग की वेतन वृद्धि को ऊसर की खेती कहा गया है।
(झ) पहले मुसाफिर पर ठाकुर साहब ने कौन-सा अपराध लगाया था और कितने रुपये लेकर वे टले थे?
(ପହଲେ ମୁସାଫିର୍ ପର୍ ଠାକୁର ସାହବ୍ ନେ କୌନ୍-ସା ଅପରାଧ୍ ଲଗାୟା ଥା ଔର୍ କିମ୍ ରୂପୟେ ଲେକର୍ ୱେ ଟଲେ ଥେ ?)
उत्तर:
पहले मुसाफिर पर ठाकुर साहब ने खुफिया फरोसी का अपराध लगाया था और २५ रुपए लेकर वे टले थे।
(ञ) दूसरे मुसाफिर ने ठाकुर साहब से नीचे बैठ जाने की बात करते हुए क्या कहा?
(ଦୂସ୍ରେ ମୁସାଫିର୍ ନେ ଠାକୁର୍ ସାହବ୍ ସେ ନୀଚେ ବୈଠ୍ ଜାନେ କୀ ବାତ୍ କର୍ତେ ହୁଏ କ୍ୟା पीटा?)
उत्तर:
दूसरे मुसाफिर ने ठाकुर साहब से नीचे बैठ जाने की बात करते हुए कहा कि- इसमें कौन सी हेठी हुई जाती है। यह थाना थोड़े ही है कि आपके रोब में दाग लग जाएगा।
(ट) कृपाशंकर ने बिल्हौर से कौन-सी परीक्षा पास की और अयोध्या में किस पद पर तैनात हुआ था?
(କୃପାଶଙ୍କର୍ ନେ ବିଲ୍ର ସେ କୌନ୍-ସୀ ପରୀକ୍ଷା ପାସ୍ କୀ ଔର୍ ଅୟୋଧ୍ୟା ମେଁ କିସ୍ ପଦ୍ ପର୍ ତୈନାତ୍ ହୁଆ ଥା ?)
उत्तर:
कृपाशंकर ने बिल्हौर से आकर इन्ट्रेस की परीक्षा पास की और अयोध्या में म्युनिसिपालटी में नौकरी की थी।
(ठ) पण्डित जी को किस बात का बोध हुआ?
(ପଣ୍ଡିତ୍ ଜୀ କୋ କିସ୍ ବାତ୍ କା ବୋଧ ହୁଆ ?)
उत्तर:
पण्डित जी को शिक्षक पद की महानता का बोध हुआ।
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଅବତରଣୋ କା ଅର୍ଥ ସ୍ପଷ୍ଟ କୀଜିଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଅବତରଣଗୁଡ଼ିକର ଅର୍ଥ ସ୍ପଷ୍ଟ କର : )
(क) हमसे तो मजूर ही भले।
(ହମ୍ ତୋ ମୟୂର୍ ହୀ ଭଲେ ।)
उत्तर:
हमसे तो …………………………….. भले।
यह वाक्य पण्डित चन्द्रधर ने अपने को कोसते हुए कहा है। क्योंकि पंद्रह रुपए महीने वेतन में न खाने का सुख था न पहनते का आराम। एक मजदूर इससे कहीं अच्छा है।
(ख) परन्तु इस विभाग की वेतन वृद्धि ऊसर की खेती है।
(ପରନ୍ତୁ ଇସ୍ ଵିଭାଗ୍ କୀ ୱେତନ୍-ବୃଦ୍ଧି ଉସର୍ କୀ ଖେତୀ ହୈ ।)
उत्तर:
परंतु इस ……………………….. खेती है ।
शिक्षा विभाग एक खारी जमीन के समान है जिसमें पानी बरसने पर घास तक नहीं अगती अर्थात् इस बिभाग में वेतन बृद्धि नहीं के बराबर है।
(ग) कभी गाड़ी नाव पर, कभी नाव गाड़ी पर।
(କଭୀ ଗାଡ଼ୀ ନାୱ ପର୍, କଭୀ ନାୱେ ଗାଢ଼ୀ ପର୍ ।)
उत्तर:
कभी गाड़ी………………………… .गाड़ी पर।
उपरोक्त बाक्य डॉक्टर चोखेलाल ने मुंशी बैजनाथ को कहा। क्योंकि तहसील में जब डॉक्टर चोखेलाल लगान जमा कराने गया था तब मुंशी बैजनाथ ने उसे डाँटकर अपना हक वसूल कर लिया था। अब वे मरीज बनकर अस्पताल में आए तो डॉक्टर उनको डाँटकर उनसे दस रूपये फीस वसूल करते हैं।
(घ) पण्डित जी ने आज शिक्षक का गौरव समझा।
(ପଣ୍ଡିତ୍ ଜୀ ନେ ଆଜ୍ ଶିକ୍ଷକ୍ କା ଗୌର ସମ୍ଝା ।)
उत्तर:
पण्डित जी ने ………………………… गौरव समझा।
पंडित जी शिक्षक की नौकरी से नाखुश थे। शिक्षक की नौकरी करके वे पंद्रह रुपए महीने पाते थे। जो कि उनके घर के मासिक खर्च के लिए काफि नहीं था। इसलिए हमेशा वे अपने को कोसते रहते थे। लेकिन अयोध्या यात्रा की घटनाएँ तथा उनके छात्र कृपाशंकर की सहायता और शालीनता ने उनको शिक्षक पद की महानता का ज्ञान कराया और पण्डित जी ने शिक्षक गौरव को समझा।
(ରିକ୍ତ ସ୍ଥାନୌ କୋ ଭରୀଏ : )
(ଶୂନ୍ୟସ୍ଥାନ ପୂରଣ କର : )
(क) …………………. पैसे की चीज टके में लाते।
उत्तर:चार
(ख) ईश्वर ने उन्हें इतनी …………………. दे रखी थी।
उत्तर:प्रभुता
(ग) आपने आकर मेरा ……………………….. निकाल दिया।
उत्तर:कचूमर
(घ) दारोगा जी ने ………………….. कर एक डोली का प्रबन्ध किया।
उत्तर: दौड़-धूप
(ङ) मेरे पिता कुछ दिनों बिल्हौर के …………………….. रहे थे।
उत्तर:डाक मुंशी
(ନିମ୍ନଲିଖୂ ପ୍ରଶ୍ନୋ କେ ଉତ୍ତର୍ ଦିୟେ ଗୟେ ବିକର୍ଡୋ ମେ ସେ ଚୁକର୍ ଲିଗ୍ : )
(क) पण्डित चन्द्रधर को कितने रुपये मासिक वेतन मिलता था?
(i) दस
(ii) पचास
(iii) पन्द्रह
(iv) सौ
उत्तर:
(iii) पन्द्रह
(ख) मुंशी बैजनाथ के कितने लड़के थे?
(i) दो
(ii) चार
(iii) तीन
(iv) पाँच
उत्तर:
(iii) तीन
(ग) ‘ इसमें कौन-सी हेठी हुई जाती है’। यह वाक्य किसने कहा?
(i) पहले मुसाफिर ने
(ii) पण्डित चन्द्रधर ने
(iii) दूसरे मुसाफिर ने
(iv) मुंशी बैजनाथ ने
उत्तर:
(iii) दूसरे मुसाफिर ने
(घ) ‘आपके खून का प्यासा हूँ’ का अर्थ है-
(i) खून पीना चाहता हूँ
(ii) प्यास बुझाना चाहता हूँ
(iii) वध करना चाहता हूँ
(iv) मार-पीट करना चाहता हूँ
उत्तर:
(iii) वध करना चाहता हूँ
(ङ) ‘पण्डित जी ने आज शिक्षक का गौरव समझा’ का आशय है
(i) शिक्षकता का महत्त्व अधिक है।
(ii) सबसे बड़ी नौकरी शिक्षक की है।
(iii) दूसरी नौकरियों का कोई महत्त्व नहीं है।
(iv) शिक्षक बनने में वेतन अधिक मिलता है।
उत्तर:
(i) शिक्षकता का महत्त्व अधिक है।
1. निम्नलिखित वाक्यों को पढ़िए:
(क) पण्डित चन्द्रधर ने एक अपर प्राइमरी में मुदर्रिसी की थी।
(ख) पण्डित जी के पड़ोस में दो महाशय और रहते थे।
(ग) ठाकुर साहब शाम को आराम कुरसी पर लेट जाते थे।
(घ) गाड़ी में जगह की बड़ी कमी थी।
(ङ) ठाकुर साहब क्रोध से लाल हो रहे थे।
(च) ठाकुर साहब ने बाल-बच्चों को वहाँ से निकालकर दूसरे कमरे में बैठाया।
पहले वाक्य में (ପ୍ରଥମ ବାକ୍ୟରେ) ‘पण्डित चन्द्रधर ने’, ‘एक अपर प्राइमरी में’, ‘मुदर्रिसी’;
दूसरे वाक्य में (ଦ୍ଵିତୀୟ ବାକ୍ୟରେ) ‘पण्डितजी के’, ‘पड़ोस में’;
तीसरे वाक्य में (ତୃତୀୟ ବାକ୍ୟରେ) ‘ठाकुर साहब’, ‘शाम को ‘, आराम कुरसी पर ‘ ;
चौथे वाक्य में(ଚତୁର୍ଥ ବାକ୍ୟରେ ‘गाड़ी में’, ‘जगह की’;
पाँचवे वाक्य में (ପଞ୍ଚମ ବାକ୍ୟରେ) ‘ठाकुर साहब’, ‘क्रोध से’;
छठे वाक्य में (ଷଷ୍ଠ ବାକ୍ୟରେ) ‘ठाकुर साहब ने ‘,
‘बाल-बच्चों को’, ‘वहाँ से निकलकर’, ‘दूसरे कमरे में – आदि पद संज्ञा-शब्द के रूप हैं। इनका संबंध क्रमश: ‘की थी’, ‘रहते थे’, ‘लेट जाते थे’, बड़ी कमी थी’, ‘हो रहे थे’, ‘बैठाया’ आदि क्रियाओं से सूचित हो रहा है (ଆଦି କ୍ରିୟାଦ୍ବାରା ସୂଚିତ ହେଉଅଛି)। इसलिए ये शब्द कारक हैं (ଏଣୁ ଏସବୁ କାରକ ଅଟନ୍ତି ।)।
याद रखिए: संज्ञा व सर्वनाम शब्दों का वाक्य के अन्य शब्दों से, क्रिया से संबध बतानेवाले शब्द- रूपों को कारक कहते हैं।
(ମନେରଖ: ବିଶେଷ୍ୟ ଏବଂ ସର୍ବନାମ ଶବ୍ଦର ବାକ୍ୟର ଅନ୍ୟ ଶବ୍ଦ ସହିତ କ୍ରିୟା ସହିତ ସମ୍ବନ୍ଧ ସୂଚିତ କରୁଥିବା ଶବ୍ଦରୂପକୁ କାରକ କହନ୍ତି ।)
साथ-साथ विभक्ति या परसर्ग को भी जानिए
(ଏଥ୍ ସହିତ ବିଭକ୍ତି ବା ପରସର୍ଗକୁ ମଧ୍ଯ ଜାଣ)
ऊपर दिये गये वाक्यों में संज्ञाओं का क्रिया से संबंध बतानेके लिए कुछ चिह्नों जैसे-ने, के, को, पर, की, से आदि का प्रयोग किया गया है। इन चिह्नों को विभक्ति – चिह्न कहते हैं।
(ଉପରେ ଦିଆଯାଇଥବା ବାକ୍ୟଗୁଡ଼ିକରେ ବିଶେଷ୍ୟର କ୍ରିୟା ସହିତ ସମ୍ବନ୍ଧ ସୂଚିତ କରୁଥିବା କିଛି ଚିହ୍ନ ଯେପରି ने, के, को, पर, की, से ଆଦିର ପ୍ରୟୋଗ କରାଯାଇଅଛି। ଏହି ଚିହ୍ନସବୁକୁ ବିଭକ୍ତି ଚିହ୍ନ କୁହାଯାଏ ।)
याद रखिए: वाक्य में प्रयुक्त संज्ञा को, कर्म, आदि में विभक्त करनेवाले या कारकों का रूप प्रकट करने के लिए प्रयोग में आनेवाले शब्द – चिह्नों को विभक्ति कहते हैं।
(ମନେରଖ: ବାକ୍ୟରେ ବ୍ୟବହୃତ ବିଶେଷ୍ୟକୁ, କର୍ମ ଆଦିରେ ବିଭକ୍ତ କରୁଥିବା ବା କାରକର ରୂପକୁ ଦର୍ଶାଇବା ପାଇଁ ବ୍ୟବହୃତ ଶବ୍ଦ ଚିହ୍ନକୁ ବିଭକ୍ତି କୁହାଯାଏ ।)
संज्ञा, सर्वनाम आदि शब्दों के बाद अर्थात् अंत में जुड़नेके कारण विभक्ति को ‘परसर्ग’ भी कहा जाता है। कभी-कभी कुछ वाक्यों में कुछ शब्दों के साथ विभक्ति का प्रयोग नहीं होता।
(ବିଶେଷ୍ୟ, ସର୍ବନାମ ଆଦି ଶବ୍ଦ ପରେ ଅର୍ଥାତ୍ ଶେଷରେ ଲାଗୁଥିବା ବିଭକ୍ତିକୁ ‘ପରସର୍ଗ’ ମଧ୍ୟ କୁହାଯାଏ ।
जैसे- ‘ठाकुर साहब क्रोध से लाल हो रहे थे।’
इस वाक्य में ‘ठाकुर साहब’ के बाद किसी विभक्ति या परसर्ग का प्रयोग नहीं हुआ है। ऐसे वाक्यों में शब्द-क्रम या अर्थ के आधार पर क्रिया से संज्ञा का संबंध स्पष्ट होता है।
(ଏହି ବାକ୍ୟରେ ‘ठाकुर साहब’ ଶବ୍ଦ ପରେ କୌଣସି ବିଭକ୍ତି ବା ପରସର୍ଗର ବ୍ୟବହାର ହୋଇନାହିଁ । ଏପରି ବାକ୍ୟରେ ଶବ୍ଦ-କ୍ରମ ବା ଅର୍ଥକୁ ଆଧାର କରି କ୍ରିୟାରୁ ବିଶେଷ୍ୟର ସମ୍ବନ୍ଧ ସ୍ପଷ୍ଟ ହୋଇଥାଏ ।)
2. विभक्ति- संबंधी अशुद्धियों पर ध्यान दीजिए:
(ବିଭକ୍ତି ସମ୍ବନ୍ଧୀୟ ଅଶୁଦ୍ଧି ଉପରେ ଧ୍ୟାନ ଦିଅ)
(i) सज्ञा शब्द के साथ विभक्ति का प्रयोग होने पर इसे अलग लिखा जाता है।
जैसे- ‘ठाकुर साहब ने बाल-बच्चों को दूसरे कमरे में बैठाया’।
इस वाक्य में ‘ठाकुर साहब’, ‘बाल-बच्चों’ और ‘कमरे’ संज्ञा शब्द हैं और इनके साथ प्रयुक्त क्रमशः ‘ने’, ‘की’ और ‘में’ आदि विभक्तियों का प्रयोग अलग हुआ है।
(ଏହି ବାକ୍ୟରେ ‘ठाकुर साहब’, ‘बाल-बच्चों ବ୍ୟବହୃତ କ୍ରମଶ: ବିଶେଷ୍ୟ ଶବ୍ଦ ଅଟେ ଏବଂ ଏହା ସହିତ ଆଦି ବିଭକ୍ତି ସବୁର ବ୍ୟବହାର ଅଲଗା ହୋଇଅଛି ।)
(ii) सर्वनाम के साथ विभक्ति का प्रयोग होने पर इसे मिलाकर लिखा जाता है।
(ସର୍ବନାମ ସହିତ ବିଭକ୍ତିର ପ୍ରୟୋଗ ହେଲେ ଏହାକୁ ମିଶାଇ ଲେଖାଯାଏ ।)
जैसे- ‘मैंने आपका क्या बिगाड़ा है’?
इस वाक्य में ‘मैं’ और ‘आप’ सर्वनाम शब्द हैं। इनके साथ प्रयुक्त क्रमशः ‘ने’ और ‘का’ प्रयोग मिलकर हुआ है।
(iii) वाक्य में ‘ने’ के प्रयोग पर ध्यान देना आवश्यक है।
(ବାକ୍ୟରେ ‘ने’ ର ପ୍ରୟୋଗ ଉପରେ ଧ୍ୟାନ ଦେବା ଆବଶ୍ୟକ ।)
जैसे- ‘मैंने कुछ का कुछ लिख दिया है।’ ठीक है। पर यह कहना कि ‘मैं कुछ का कुछ लिख दिया हूँ’ गलत है।
ଯେପରି ‘मैंने कुछ का कुछ लिख दिया है। ଠିକ୍ ଅଟେ । କିନ୍ତୁ ‘मैं कुछ का कुछ लिख दिया हू ଏପରି କହିବା ଭୁଲ୍ ଅଟେ ।)
(iv) कुछ जगह ‘ने’ के प्रयोग की आवश्यकता नहीं है।
(କେତେକ ସ୍ଥାନରେ ‘ने’ ର ବ୍ୟବହାରର ଆବଶ୍ୟକତା ହୁଏ ନାହିଁ ।)
जैसे- ‘सब लोग खा-पीकर सोये’। ठीक है ( ଠିକ ଅଛି)।
पर यह कहना कि (କିନ୍ତୁ ଏହା କହିବା ସେ) ‘सब लोगों ने खा-पीकर सोये’ गलत है’ (ତୁଲ୍ଅଟେ)
v) कभी-कभी ‘ने’ के प्रयोग को सही नहीं माना जाता।
(ବେଳେବେଳେ ‘ने’ ର ବ୍ୟବହାରକୁ ଠିକ୍ କୁହାଯାଏ ନାହିଁ ।)
जैसे- ‘सब लोग खा-पीकर सोये’।
यहाँ ‘ने’ का प्रयोग गलत है। (ଏଠାରେ ‘ने’ ର ପ୍ରୟୋଗ ଭୂଲ ଅଟେ ।)
अतः यह कहना ठीक होगा (ଏଣୁ ଏହା କହିବା ଠିକ୍ ହେବ)
‘उसे कटक जाना था’
(vi) वाक्य में ‘को’ विभक्ति के प्रयोग पर ध्यान दें
ବାକ୍ୟରେ ‘को’ ବିଭକ୍ତିର ବ୍ୟବହାର ଉପରେ ଧ୍ୟାନ ଦିଅ ।)
- वह अपने भाग्य को कोस रहा है। (सही)
- वह अपना भाग्य कोस रहा है। (गलत)
- पुस्तक लाओ। (सही)
- पुस्तक को लाओ। (गलत)
- सबको भगवान् की पूजा करनी चाहिए। (सही)
- सबको भगवान को पूजना चाहिए। (गलत)
- राम कहीं काम से गया है। (सही)
- राम कहीं काम को गया है। (गलत)
(vii) वाक्य में ‘से’ विभक्ति के सही प्रयोग को समझें
ବାକ୍ୟରେ ‘से’ ବିଭକ୍ତିର ଠିକ୍ ବ୍ୟବହାରକୁ ବୁଝି ।)
- राम देर से स्कूल जाता है। (सही)
राम देर को स्कूल जाता है। (गलत) - इसी बहाने हम चले आये। (सही)
इसी बहाने से हम चले आये। (गलत) - सबको नमस्ते कहियेगा। (सही)
सबसे नमस्ते कहियेगा। (गलत) - वह मुझ पर नाराज है। (सही)
वह मुझ से नाराज है। (गलत) - सीता साइकिल से कॉलेज आती है। (सही)
सीता साइकिल में कॉलेज आती है। (गलत)
(viii) बाक्य में ‘में’ विभक्ति का प्रयोग देखें
(ବାକ୍ୟରେ ‘में’ ବିଭକ୍ତିର ବ୍ୟବହାର ଉପରେ ଦୃଷ୍ଟି ଦିଅ )
- राम दिन में एक बार भी नहीं मिला। (सही)
राम दिन भर एक बार भी नहीं मिला। (गलत) - कल रात पण्डित जी को नींद नहीं आयी। (सही)
कल रात में पण्डित जी को नींद नहीं आयी। (गलत) - परस्पर सहयोग होना चाहिए। (सही)
परस्पर में सहेयाग होना चाहिए। (गलत) - प्रक्षी पेड़ पर बैठा है। (सही)
पक्षी पेड़ में बैठा है। (गलत)